हरियाणा में गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा (हरियाणा लोकहित पार्टी) और भाजपा के बीच गठबंधन की चर्चा तेज हो गई है। यह जानकारी मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा 31 जुलाई 2024 को सिरसा दौरे के दौरान दी गई। उन्होंने हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा से मुलाकात की और उनके घर नाश्ता किया। इस मुलाकात के बाद, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि भाजपा हलोपा के साथ मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
Main Points
हलोपा को 5 सीटों की जिम्मेदारी
भाजपा ने हलोपा को 5 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी देने की योजना बनाई है। गोपाल कांडा और उनके भाई गोविंद कांडा इन सीटों पर भाजपा के लिए चुनावी रणनीति का हिस्सा होंगे। हालांकि, दो सीटों के उम्मीदवारों के चयन पर दोनों पार्टियों के बीच सहमति बनानी होगी।
सीटों पर संभावित विवाद
हालांकि, तीन सीटों पर दोनों पार्टियों के बीच विवाद हो सकता है। ये सीटें हैं सिरसा, रानियां और फतेहाबाद। इन सीटों पर भाजपा के मौजूदा विधायकों की स्थिति खतरे में पड़ सकती है।
गोविंद कांडा की रानिया से दावेदारी
गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा रानिया विधानसभा से चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं। रानिया से रणजीत चौटाला निर्दलीय विधायक चुने गए थे, लेकिन उन्होंने भाजपा में शामिल होकर विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। अब गोविंद कांडा की दावेदारी को मजबूत करने के लिए भाजपा रणजीत चौटाला को हिसार से चुनाव लड़ाने की योजना बना रही है।
फतेहाबाद सीट पर भी चर्चा
अगर रानिया में रणजीत चौटाला अड़ जाते हैं, तो फतेहाबाद सीट भी गोविंद कांडा को दी जा सकती है। लेकिन, यहां मौजूदा विधायक दुड़ाराम की नाराजगी भाजपा के लिए समस्या बन सकती है। मुख्यमंत्री की हालिया रैली में दुड़ाराम को अपेक्षित भीड़ नहीं मिली, जिससे उनकी स्थिति कमजोर हुई है।
सिरसा सीट पर भाजपा नेताओं की उम्मीदें
सिरसा सीट पर भाजपा के कई नेता दावेदारी कर रहे हैं। इनमें पूर्व चेयरमैन जगदीश चोपड़ा के बेटे अमन चोपड़ा, प्रदीप रातुसरिया और पूर्व राज्यपाल गणेशी लाल के बेटे मनीष गोयल शामिल हैं। गोपाल कांडा के मैदान में आने से इन नेताओं की उम्मीदवारी कमजोर हो सकती है।
रानिया में रणजीत चौटाला की मुश्किलें
रानिया विधानसभा में रणजीत चौटाला की राह कठिन होती जा रही है। उन्होंने रानिया को छोड़कर हिसार से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी है। हाल ही में, जब मुख्यमंत्री सैनी सिरसा के दौरे पर थे, तब रानिया के लोगों ने बाजार बंद कर विरोध जताया।
भाजपा की हार से सबक
भाजपा ने 2019 में सिरसा जिले की सभी 5 विधानसभा सीटें हार गई थीं। इस बार पार्टी हार के कारणों से सबक लेते हुए इन सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। मुख्यमंत्री नायब सैनी लगातार सिरसा का दौरा कर रहे हैं और स्थानीय मुद्दों को समझने की कोशिश कर रहे हैं।इस प्रकार, हरियाणा में भाजपा और हलोपा का गठबंधन आगामी विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों के चयन पर चर्चा जारी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी रणनीति कैसे विकसित होती है और कौन सी पार्टी किस सीट पर जीत हासिल करने में सफल होती है।