हरियाणा की बेटी रितिका हुड्डा को मिला बड़ा सम्मान, इंडियन नेवी में अब कैप्टन की रैंक
हरियाणा की रितिका हुड्डा, जिन्होंने पेरिस ओलम्पिक 2024 में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, 13 अगस्त 2024 को देश लौट आईं। मूलरूप से रोहतक जिले के गांव खरकड़ा की रहने वाली रितिका का घर लौटने पर जोरदार स्वागत किया गया। परिवारजनों ने कहा कि भले ही रितिका पदक नहीं जीत पाईं, लेकिन उनके उत्कृष्ट खेल ने हर किसी को प्रभावित किया है।
Main Points
रितिका हुड्डा की नौसेना प्रमुख से मुलाकात
रितिका हुड्डा ने नई दिल्ली में नौसेना प्रमुख दिनेश कुमार त्रिपाठी से मुलाकात की। यह मुलाकात साउथ ब्लॉक स्थित कार्यालय में हुई। इस दौरान नौसेना प्रमुख ने रितिका को 2.50 लाख रुपए का चेक देकर सम्मानित किया और उनके खेल की प्रशंसा की। यह सम्मान रितिका के ओलम्पिक में किए गए प्रयासों के लिए था। उनके पिता जगबीर हुड्डा ने बताया कि रितिका को नौसेना में जल्द ही प्रमोशन मिलने वाला है। नवंबर 2024 में वह चीफ पेटी ऑफिसर से कैप्टन के रैंक पर पहुंच जाएंगी।
पेरिस ओलम्पिक का अनुभव
रितिका ने पेरिस ओलम्पिक 2024 में 76 किलोग्राम भारवर्ग में कुश्ती में हिस्सा लिया था। भले ही वह पदक नहीं जीत पाईं, लेकिन उनके प्रदर्शन ने कई लोगों का दिल जीता। रितिका ने कहा, “पेरिस ओलम्पिक का अनुभव बहुत अच्छा रहा। मैंने वहां से बहुत कुछ सीखा है, जिसे मैं आगे अपने खेल में लागू करूंगी।”
एशियन गेम्स की तैयारी पर जोर
अब रितिका का पूरा ध्यान एशियन गेम्स 2024 पर है। उन्होंने कहा, “मैं अब एशियन गेम्स पर फोकस कर रही हूं और इसके लिए और भी ज्यादा मेहनत करूंगी।” उन्होंने यह भी कहा कि ओलम्पिक में पदक नहीं जीतने का मलाल तो है, लेकिन वह इससे निराश नहीं हैं। रितिका ने अपनी मानसिकता को मजबूत रखने की बात कही और भरोसा जताया कि वह आने वाले समय में अपने खेल को और बेहतर करेंगी।
हरियाणा और देश का नाम रोशन करने का संकल्प
रितिका ने अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा, “मैं अपने खेल के माध्यम से देश और हरियाणा का नाम रोशन करूंगी।” उन्होंने अपने प्रशंसकों और समर्थकों का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया। रितिका ने बताया कि उनके परिवार और समर्थकों की उम्मीदें ही उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।
भविष्य की योजनाएं
रितिका ने बताया कि वह अब एशियन गेम्स की तैयारी में जुट जाएंगी। उन्होंने अपने कोच और टीम के साथ इस दिशा में पहले ही योजना बना ली है। रितिका ने कहा, “अब मेरा लक्ष्य एशियन गेम्स में पदक जीतना है और इसके लिए मैं अपनी पूरी ताकत लगा दूंगी।”
रितिका के परिवारवालों ने भी उनके आने वाले भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और उन्हें प्रेरित किया कि वे इसी तरह देश के लिए खेलें और नाम कमाएं। रितिका की इस सफलता की यात्रा में उनके परिवार का अहम योगदान रहा है, जिसने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
सामाजिक और आर्थिक समर्थन
रितिका के खेल में उत्कृष्टता और सफलता को देखते हुए, कई सामाजिक और आर्थिक संगठनों ने भी उनका समर्थन किया है। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे हरियाणा और देश के लिए गर्व की बात है। रितिका की कहानी कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है, जो खेल के माध्यम से अपने देश का नाम रोशन करना चाहते हैं।
रितिका हुड्डा ने अपने खेल के माध्यम से एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है और यह साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। अब उनकी नजरें एशियन गेम्स पर हैं, जहां वह एक और उपलब्धि हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।