सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की याचिका पर सुनवाई टाली, किसानों से बातचीत के लिए समिति बनाने का आदेश
2 अगस्त 2024 को, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा शंभू सीमा को खोलने के निर्देश के खिलाफ हरियाणा की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। इस मामले में, कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब राज्यों को उन तटस्थ व्यक्तियों के नाम सुझाने के लिए समय दिया है, जिन्हें प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत करने के लिए एक समिति में शामिल किया जा सकता है।
किसानों की मांगों का समाधान
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रदर्शनकारी किसानों को अपनी शिकायतें व्यक्त करने का अधिकार है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति आर महादेवन की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा को जोड़ने वाली शंभू सीमा को बंद कर दिया था ताकि प्रदर्शनकारी दिल्ली की ओर न जा सकें।न्यायालय ने कहा कि किसानों की विभिन्न मांगों का समाधान करने के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जाना चाहिए। इस समिति में ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हो सकते हैं, जो किसानों के साथ बातचीत कर सकें।
बातचीत का महत्व
सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “लोकतांत्रिक व्यवस्था में उन्हें अपनी शिकायतें व्यक्त करने का अधिकार है।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को ट्रैक्टरों या जेसीबी के साथ न आने के लिए राजी किया जाना चाहिए। इस पर, केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को राजधानी तक जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।कोर्ट ने सुझाव दिया कि तटस्थ व्यक्तियों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत की जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा, “कृपया बातचीत करें। कुछ बहुत अच्छे लोग हैं। कभी-कभी मन में अवरोध हो सकता है क्योंकि आपने एक राजनीतिक व्यक्ति को भेजा, इसलिए तटस्थ व्यक्तियों के बारे में सोचें।”
समिति का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने सरकार से कहा था कि वह किसानों से संपर्क करने के लिए कदम उठाए। किसानों ने एक बार फिर दिल्ली कूच करने की योजना बनाई थी। न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल से स्वतंत्र समिति के गठन के बारे में निर्देश मांगे थे।इस समिति में कृषि पृष्ठभूमि वाले पूर्व न्यायाधीश, प्रोफेसर और प्रमुख विश्वविद्यालयों के शोधकर्ता शामिल हो सकते हैं। यह समिति किसानों की मांगों का समाधान खोजने में मदद कर सकती है।
अगली सुनवाई की तारीख
हरियाणा सरकार ने समिति के सदस्यों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए और समय मांगा। कोर्ट ने इस उद्देश्य के लिए और समय देते हुए मामले की सुनवाई 12 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी।इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर किसानों की आवाज़ को सुनने और उनके अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह सुनवाई यह दर्शाती है कि न्यायालय किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले रहा है और उनके समाधान के लिए ठोस प्रयास कर रहा है।