RSS News: केंद्र सरकार ने 58 साल बाद सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में भाग लेने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस बारे में कोई बयान जारी नहीं किया गया है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने एक्स पोस्ट में इस प्रतिबंध को हटाए जाने का दावा किया है। यह खबर 9 जुलाई 2024 की है।
58 साल बाद हटा प्रतिबंध
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्य सरकारें पहले ही सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़े होने पर प्रतिबंध को हटा चुकी हैं। 30 नवंबर 1966 को केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया था। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 9 जुलाई 2024 को एक आदेश के अनुसार इस प्रतिबंध को हटा दिया है।
1948 में आरएसएस पर लगा था प्रतिबंध
भाजपा आइटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर कार्मिक मंत्रालय के आदेश का स्क्रीन शॉट साझा करते हुए पोस्ट किया कि 58 साल पहले, 1966 में जारी असंवैधानिक आदेश को मोदी सरकार ने वापस ले लिया है। इस आदेश में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पोस्ट किया कि सरदार पटेल ने गांधी जी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध हटा लिया गया था। जयराम रमेश ने बताया कि 1966 में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था, जो सही भी था। 9 जुलाई 2024 को 58 साल पुराना प्रतिबंध हटा दिया गया, जो वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते भी लागू था।
कांग्रेस ने साझा किया स्क्रीनशॉट
कांग्रेस नेता ने 30 नवंबर 1966 के मूल आदेश का स्क्रीनशॉट भी साझा किया। इसमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों से जुड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया था। कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने भी आदेश का स्क्रीनशॉट शेयर किया। उन्होंने कहा कि 58 साल पहले केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगाया था। मोदी सरकार ने अब उस आदेश को वापस ले लिया है।
भाजपा का समर्थन
भाजपा नेताओं ने इस निर्णय का समर्थन किया है। उनका कहना है कि यह निर्णय सही दिशा में उठाया गया कदम है। भाजपा का मानना है कि आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने से सरकारी कर्मचारियों को सामाजिक सेवा और राष्ट्र निर्माण में भागीदारी का मौका मिलेगा।
विपक्ष की आलोचना
विपक्षी दलों ने इस निर्णय की आलोचना की है। उनका कहना है कि इस निर्णय से सरकारी कर्मचारियों पर राजनीतिक दबाव बढ़ेगा। विपक्ष का यह भी मानना है कि इस निर्णय से सरकारी कर्मचारियों की निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया
जनता के बीच इस निर्णय पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखी जा रही है। कुछ लोग इसे सकारात्मक कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे गलत दिशा में उठाया गया कदम मानते हैं।
इस प्रकार, केंद्र सरकार का यह निर्णय देश भर में चर्चा का विषय बन गया है। अब देखना यह होगा कि इस निर्णय का सरकारी कर्मचारियों और देश की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।