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Rishi Panchami Katha: जानिए इस पावन दिन की कहानी और क्यों रखा जाता है यह व्रत

ऋषि पंचमी व्रत कथा: इस साल 8 सितंबर को मनाया जाएगा यह पर्व

ऋषि पंचमी का पावन पर्व इस साल 8 सितंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा करती हैं और उनसे जाने अनजाने में हुए पापों की मुक्ति की कामना करती हैं। व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए ऋषि पंचमी की कथा पढ़ना अनिवार्य माना गया है। चलिए जानते हैं ऋषि पंचमी की व्रत कथा।

ऋषि पंचमी व्रत कथा: विदर्भ देश में उत्तंक ब्राह्मण की कहानी

ऋषि पंचमी की कथा के अनुसार, एक नगरी में एक कृषक और उसकी पत्नी रहती थी। एक बार उसकी पत्नी रजस्वला हो गई, लेकिन यह जानने के बावजूद वह अपने कार्यों में लगी रही। जिस कारण उसे दोष लग गया, चूंकि उसका पति भी इस दौरान उसके संपर्क में आ गया, तो वह भी इस दोष का शिकार हो गया, जिस कारण वह दोनों अगले जन्म में जानवर बन गए। पत्नी को कुतिया का जन्म मिला, तो वहीं पति बैल बन गया।

पुत्र ने सुन ली सारी बातें

इस दोनों का इसके अलावा कोई और दोष नहीं था, इसलिए इन्हें पूर्व जन्म की सारी बातें याद थीं। इस रूप में दोनों अपने पुत्र के घर रहने लगे। एक दिन पुत्र के यहां ब्राह्मण पधारे और उसकी पत्नी ने ब्राह्मणों के लिए भोजन पकाया। लेकिन इस दौरान खीर में एक छिपकली गिर गई, जिसे उसकी मां ने देख लिया।

अपने पुत्र को ब्रह्म हत्या से बचाने के लिए उसने अपना मुख खीर में डाल दिया, लेकिन कुतिया की यह हरकत देखकर, पुत्रवधू को बहुत गुस्सा आया और उसने मारकर उसे घर से बाहर निकाल दिया। जब रात के समय वह यह सारी बात बैल के रूप में अपने पति को बता रही थी, तो उनकी सारी बातें उनके पुत्र ने सुन ली। तब उसने एक ऋषि के पास जाकर इसका उपाय पूछा।

ऋषि ने बताया ये उपाय

ऋषि ने पुत्र से कहा कि अपने माता-पिता को इस दोष से छुटकारा दिलाने के लिए तुम्हें और तुम्हारी पत्नी को ऋषि पंचमी का व्रत करना होगा। ऋषि के कहे अनुसार, पुत्र ने ऐसा ही किया, जिससे उन दोनों को पशु योनि से छुटकारा मिल गया। इसलिए महिलाओं के लिए ऋषि पंचमी का व्रत बहुत ही उत्तम माना जाता है।

ऋषि पंचमी व्रत कथा: सप्त ऋषियों की पूजा और पापों से मुक्ति

इस दिन सप्त ऋषियों – कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, वशिष्ठ, गौतम, जमदग्नि, और विश्वामित्र की पूजा की जाती है। ये सात ऋषि ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश माने जाते हैं। ये ही वेदों और धर्मशास्त्रों के रचयिता माने जाते हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।

ऋषि पंचमी व्रत कथा: महिलाओं के लिए विशेष महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं की माहवारी के दौरान अनजाने में हुई धार्मिक गलतियों और उससे मिलने वाले दोषों से रक्षा करने के लिए यह व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पावन दिन व्रत कथा सुननी या पढ़नी चाहिए।

ऋषि पंचमी व्रत कथा: कश्यप ऋषि की जयंती और सुख-शांति की कामना

भाद्रपद के शुक्ल पक्षी की गणेश चतुर्थी के बाद ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा करते हैं। ऋषि पंचमी पर कश्यप ऋषि की जयंती रहती है। इस दिन महिलाएं परिवार की सुख, शांति और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। व्रत के दौरान ऋषि पंचमी व्रत की कथा सुनी जाती है।

इस प्रकार ऋषि पंचमी का व्रत बेहद पावन और कल्याणकारी माना गया है। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा करके उनसे पापों की मुक्ति और जीवन में सुख-शांति की कामना की जाती है। विशेषकर महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है।

Jiya

जिया सिंह, एक अनुभवी हिंदी समाचार लेखक हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में करीब 5 साल का एक्सपीरिएंस है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक ऑनलाइन समाचार वेबसाइट से की थी, जहां उन्होंने हिंदी समाचार और बिजनेस समेत कई सेक्शन में काम किया। इन्हें टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और बिजनेस से जुड़ी न्यूज लिखना, पढ़ना काफी पसंद है। इन्होंने इन सभी सेक्शन को बड़े पैमाने पर कवर किया है और पाठकों लिए बेहद शानदर रिपोर्ट पेश की हैं। जिया सिंह, पिछले 1 साल से लोकल हरियाणा पर पाठकों तक सही व स्टीक जानकारी पहुंचाने का प्रयास कर रही है।

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