हरियाणा भर्ती रिजल्ट्स पर चुनाव आयोग का बड़ा फैसला: जानें 5 बड़े कारण क्यों लगी रोक
हरियाणा में कॉन्सटेबल और अन्य भर्तियों के रिजल्ट घोषित करने पर चुनाव आयोग ने रोक लगा दी है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश की शिकायत पर चुनाव आयोग ने यह फैसला लिया है। अब जब तक विधानसभा चुनाव नहीं हो जाते, नतीजे नहीं जारी किए जा सकेंगे।
कांग्रेस ने की थी शिकायत
कांग्रेस ने हरियाणा में 5600 पदों पर कॉन्सटेबल और 76 टीजीटी और पीटीआई के पदों पर भर्ती प्रक्रिया में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने हरियाणा सरकार ने डिटेल रिपोर्ट मांगी थी।
सरकार की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग का फैसला
सरकार की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग ने कहा कि आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ है। आयोग ने कहा कि ये भर्ती प्रक्रिया चुनाव की घोषणा से पहले शुरू गई थीं। हालांकि, ये सुनिश्चित करने के लिए कि किसी को किसी तरह का कोई अनुचित लाभ न मिले, चुनाव आयोग ने निर्देश दिया कि इन भर्ती के रिजल्ट विधानसभा चुनाव के पूरा हो जाने तक जारी नहीं किए जाएंगे।
हरियाणा में चुनाव की तैयारियां
राज्य में 2.03 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। आम मतदाताओं में 1,07,14,565 पुरुष, 95,03,407 महिलाएं और 455 ट्रांसजेंडर हैं। सर्विस मतदाताओं में 1,04,456 पुरुष और 4,748 महिलाएं हैं।
चुनाव के लिए अधिसूचना पांच सितंबर को जारी की जाएगी और 12 सितंबर नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि होगी। नामांकन की जांच की अंतिम तिथि 13 सितंबर होगी, जबकि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 16 सितंबर तय की गई है।
हरियाणा में भर्ती प्रक्रिया पर रोक
राज्य में ये भर्ती प्रक्रिया हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन और हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन की तरफ से किए जा रहे थे। चुनाव आयोग ने इन भर्तियों पर रोक लगा दी है।
इस फैसले से कई उम्मीदवारों को झटका लगा है, जो इन भर्तियों के लिए तैयारी कर रहे थे। हालांकि, चुनाव आयोग का कहना है कि किसी को भी अनुचित लाभ न मिले, इसलिए यह फैसला लिया गया है।
चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण
चुनाव आयोग ने कहा है कि ये भर्ती प्रक्रिया चुनाव की घोषणा से पहले शुरू गई थीं। लेकिन, किसी को भी अनुचित लाभ न मिले, इसलिए रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दी गई है।
इस फैसले से राज्य में सियासी गलियारों में चर्चा का माहौल बन गया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं, जबकि भाजपा-जेजेपी गठबंधन इस फैसले पर सवाल उठा रहा है।
चुनाव आयोग का यह फैसला हरियाणा की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आया है। अब देखना यह होगा कि इस फैसले का क्या असर चुनाव परिणामों पर पड़ता है।