शंभू बॉर्डर नहीं खुलेगा अभी: SC के आदेश पर किसानों से होगी बातचीत
सोमवार, 2 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा-पंजाब के बीच स्थित शंभू बॉर्डर के मामले में एक हाईपावर कमेटी का गठन किया। इस समिति का गठन शंभू बॉर्डर को खोलने के मुद्दे पर किसानों और सरकार के बीच जारी तनाव को समाप्त करने के लिए किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कमेटी मुद्दों को हल करने के लिए स्वतंत्र होगी, और इसमें पंजाब और हरियाणा दोनों के अधिकारी शामिल होंगे।
सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई: राजनीतिकरण न करने की सलाह
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम कमेटी का गठन कर रहे हैं, लेकिन कोई मुद्दे तय नहीं कर रहे हैं। यह जिम्मेदारी कमेटी को सौंपी जा रही है। कोर्ट ने यह भी नसीहत दी कि इस मामले का राजनीतिकरण न किया जाए, क्योंकि यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है और संतुलित रुख अपनाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, उम्मीद की जा रही है कि कमेटी किसानों से बात कर उन्हें ट्रैक्टर हटाने का अनुरोध करेगी, ताकि बॉर्डर को खोला जा सके।
पिछली सुनवाईयों में भी नहीं निकला समाधान
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त 2024 को हुई सुनवाई में शंभू बॉर्डर को आंशिक रूप से खोलने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि हाईवे पार्किंग की जगह नहीं हैं और एक सप्ताह के भीतर एंबुलेंस, सीनियर सिटीजंस, महिलाओं, छात्रों, आदि के लिए हाईवे की एक लेन खोली जाए। इसके बावजूद, बॉर्डर खोलने के प्रयास विफल रहे थे, क्योंकि किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ दिल्ली कूच करने पर अड़े रहे।
किसानों और अधिकारियों के बीच असफल बैठकें
शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों को मनाने के लिए पंजाब और हरियाणा के पुलिस अधिकारियों की कई बैठकें हुईं, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं। 25 अगस्त 2024 को पंजाब और हरियाणा के पुलिस अधिकारियों ने दूसरी बार किसानों के साथ बैठक की, लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं हुए। किसान इस बात पर अड़े रहे कि वे अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को नहीं छोड़ेंगे और इन्हीं से दिल्ली जाएंगे। एक घंटे तक चली इस बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई।
फरवरी 2024 से जारी संघर्ष
शंभू बॉर्डर विवाद की जड़ें फरवरी 2024 से शुरू हुए किसानों के आंदोलन में हैं। यह आंदोलन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग को लेकर शुरू हुआ था। इस आंदोलन के दौरान, पंजाब के किसानों ने बॉर्डर पर स्थायी मोर्चा बना लिया था, जिससे अंबाला के व्यापारियों को काफी परेशानी हो रही है। अंबाला के व्यापारियों ने इस मुद्दे पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे।
हालांकि, हरियाणा सरकार ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाकर बॉर्डर को बंद रखने का अनुरोध किया था। इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर लगातार सुनवाई चल रही है।
कमेटी की उम्मीदें और अगले कदम
अब, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाईपावर कमेटी से उम्मीद की जा रही है कि वह इस संवेदनशील मामले का समाधान निकालने में सफल होगी। समिति के सदस्य किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए तरीकों पर विचार करेंगे और उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से आवंटित स्थलों पर स्थानांतरित होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति के सदस्य सचिव को अगले सुनवाई पर अग्रिम स्थिति रिपोर्ट पेश करनी होगी।
किसानों के साथ चल रहे इस लंबे संघर्ष को सुलझाने के लिए अब सारी निगाहें इस हाईपावर कमेटी पर हैं। अब देखना यह होगा कि क्या यह कमेटी किसानों और सरकार के बीच संतुलन बना पाती है या नहीं, और क्या शंभू बॉर्डर को खोलने का कोई ठोस समाधान निकल पाता है।