हैप्पी कार्ड पर पीएम मोदी की फोटो: चुनावी आचार संहिता का बड़ा उल्लंघन या विपक्ष की साजिश
हरियाणा में चुनावी आचार संहिता के बीच रोडवेज के हैप्पी कार्डों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद विपक्ष की ओर से उठाया गया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि आचार संहिता के लागू होने के बावजूद प्रधानमंत्री की फोटो वाले लिफाफों में हैप्पी कार्ड बांटे जा रहे हैं। मामले के उजागर होने के बाद रोडवेज अधिकारियों ने सफाई दी है कि अब कार्डों का वितरण बिना लिफाफे के किया जा रहा है।
हैप्पी कार्ड वितरण पर विवाद: आचार संहिता का उल्लंघन?
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब विपक्षी दलों ने चुनावी माहौल के बीच भिवानी जिले में हैप्पी कार्ड वितरण में प्रधानमंत्री मोदी की फोटो वाले लिफाफों का इस्तेमाल होने पर सवाल उठाया। हरियाणा सरकार ने रोडवेज बसों में 1 लाख सालाना आय वाले परिवारों के सदस्यों के लिए 1,000 किलोमीटर मुफ्त यात्रा की योजना शुरू की है। इसी योजना के तहत लाभार्थियों को हैप्पी कार्ड जारी किए जा रहे हैं। अकेले भिवानी जिले में 1,16,459 लोगों के हैप्पी कार्ड बनाए जा चुके हैं।
क्या है रोडवेज अधिकारियों का कहना?
मामला बढ़ने पर रोडवेज के महाप्रबंधक दीपक कुंडू ने अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा, “अब तक जिले में 94,835 लाभार्थियों को हैप्पी कार्ड वितरित किए जा चुके हैं, जबकि करीब 21,000 कार्डों का वितरण बाकी है। आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए अब लिफाफे हटाकर केवल कार्ड ही दिए जा रहे हैं।”
विपक्ष का आरोप: मोदी की तस्वीर का चुनावी फायदा?
इस मुद्दे को विपक्ष ने तुरंत पकड़ लिया और भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सरकार सरकारी योजनाओं का नाम बदलने और नेताओं की फोटो लगाने में ही माहिर है। कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक डॉ. शिवशंकर भारद्वाज ने कहा, “भाजपा सरकार चुनावी माहौल का फायदा उठाने के लिए आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रही है। हम इस मामले में चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे और कार्रवाई की मांग करेंगे।”
आचार संहिता का पालन कितना जरूरी?
चुनावी आचार संहिता लागू होने पर सरकार और प्रशासन के अधिकारियों को विशेष सावधानी बरतनी होती है ताकि किसी भी तरह का प्रचार-प्रसार न हो सके। ऐसे में रोडवेज द्वारा हैप्पी कार्डों के लिफाफों पर प्रधानमंत्री की तस्वीर का उपयोग करने का मुद्दा चुनावी नियमों के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है।
क्या होगा इस विवाद का असर?
यह विवाद चुनावी माहौल में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है, खासकर तब जब विपक्ष इसे चुनावी प्रचार के रूप में देख रहा है। सरकार की तरफ से अब यह देखना होगा कि किस तरह से इस मुद्दे का समाधान किया जाता है ताकि चुनावी आचार संहिता का पालन सुनिश्चित हो सके।