खटकड़ टोल फ्री: भाकियू के नेतृत्व में किसानों ने किया बड़ा फैसला
11 अगस्त 2024 को नेशनल हाइवे 352 के जींद-पटियाला मार्ग पर स्थित खटकड़ टोल पर किसानों ने एक बड़ा फैसला लिया। भाकियू के नेतृत्व में किसान संगठनों ने इस टोल को अनिश्चितकालीन समय के लिए टोल फ्री करवा दिया। इस कदम का मुख्य उद्देश्य टोल पर किसानों और आम जनता के साथ हो रही कथित गुंडागर्दी के खिलाफ विरोध जताना था।
भाकियू प्रदेश प्रवक्ता प्रियंका खरकरामजी ने स्पष्ट किया कि भाकियू के नेतृत्व में टोल को फ्री किया गया है। उन्होंने बताया कि टोल पर लगातार किसानों और आम जनता के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं हो रही थीं, जिसे सहन नहीं किया जा सकता था। उनके अनुसार, भाकियू के झंडे वाली गाड़ियों और आईकार्ड धारक गाड़ियों को टोल से फ्री निकाले जाने की मांग की गई थी, लेकिन टोल प्रबंधन द्वारा यह मांग नहीं मानी गई, जिसके चलते यह कठोर कदम उठाना पड़ा।
प्रियंका खरकरामजी ने यह भी कहा कि किसानों का किसी से टकराव नहीं है। उनकी मांग सिर्फ इतनी थी कि जिन गाड़ियों पर भाकियू का झंडा लगा हो या जो आईकार्ड धारक हों, उन्हें टोल से फ्री निकाला जाए। लेकिन टोल कर्मियों द्वारा गुंडागर्दी किए जाने के कारण यह फैसला लिया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी टोल पर काम करने वाले कर्मियों से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, लेकिन किसानों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार को सहन नहीं किया जा सकता।
किसान संगठनों ने सरकार से इस मुद्दे पर त्वरित कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा दिए गए बयानों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रकार की घटनाएं अन्य टोल नाकों पर भी हो चुकी हैं, जैसे कि लुदाना टोल पर, जहां किसानों के साथ झगड़े की घटनाएं हुई हैं।
किसान संगठनों का कहना है कि टोल कर्मियों की मनमानी और गुंडागर्दी के कारण उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार ने इस मामले में उचित कार्यवाही नहीं की, तो उन्हें और भी कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं।
यह टोल फ्री करने का फैसला किसान संगठनों के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने अपने संगठन की एकजुटता और ताकत का प्रदर्शन करते हुए यह कदम उठाया है। हालांकि, इस कदम से टोल प्रबंधन को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन किसानों का कहना है कि उनके अधिकारों के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।
इस टोल फ्री अभियान के बाद से, टोल पर वाहनों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है। खासकर वे वाहन जो भाकियू के झंडे और आईकार्ड से लैस हैं, बिना टोल दिए गुजर रही हैं। इससे टोल प्रबंधन को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।
किसानों का कहना है कि वे तब तक टोल फ्री जारी रखेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। उनका कहना है कि सरकार को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और किसानों के साथ हो रही घटनाओं पर ध्यान देना चाहिए।
टोल प्रबंधन ने इस घटना पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, टोल कर्मियों का कहना है कि वे सिर्फ अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं और उन्होंने कोई भी गलत काम नहीं किया है।
किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि टोल प्रबंधन और सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे इस आंदोलन को और भी बड़ा बना सकते हैं। उनका कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ खटकड़ टोल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे अन्य टोल नाकों पर भी फैलाया जा सकता है।
इस पूरी घटना के बाद, नेशनल हाइवे 352 पर यात्रियों के लिए खटकड़ टोल फ्री कर दिया गया है। लेकिन यह टोल फ्री कब तक जारी रहेगा, इस पर अभी कोई निश्चितता नहीं है। किसान संगठनों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक टोल फ्री जारी रहेगा।