बायोमेट्रिक न होने से एचटेट रिजल्ट रद्द, कोर्ट ने 1 लाख जुर्माने के साथ दिए नतीजे जारी करने के निर्देश
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए हरियाणा शिक्षा बोर्ड पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह फैसला उन आवेदकों के पक्ष में आया है जो उंगली पर फंगल इंफेक्शन के कारण बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज नहीं करवा पाए थे। हाईकोर्ट ने इस मामले को असंवेदनशील दृष्टिकोण मानते हुए 14 अगस्त 2024 को यह जुर्माना लगाया। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि याचिकाकर्ता के पांच साल का करियर बर्बाद हो चुका है, इसलिए परिणाम जारी करने में अब कोई देरी नहीं होनी चाहिए।
याचिका का पूरा मामला
फतेहाबाद निवासी हरजीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने 2019 में आयोजित एचटेट परीक्षा के लिए उनकी पहचान और उपस्थिति सत्यापन की मांग की थी। उन्होंने बताया कि 16 नवम्बर 2019 को उन्होंने परीक्षा दी थी, लेकिन बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट न ले पाने के कारण उनका परिणाम रद्द कर दिया गया। हरजीत सिंह के अनुसार, परीक्षा वाले दिन उनकी उंगलियों और अंगूठे में एलर्जी/फंगल इंफेक्शन था, जिसके चलते बायोमेट्रिक सत्यापन नहीं हो सका।
कोर्ट का फैसला और शिक्षा बोर्ड का रुख
हाईकोर्ट ने कहा कि याची के पास सभी आवश्यक पहचान प्रमाण और दस्तावेज थे। इसके बावजूद, हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने असंवेदनशीलता दिखाई और याची का परिणाम रद्द कर दिया। याची के आग्रह पर, पांच सदस्यों की एक कमेटी गठित की गई थी जिसने याची को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी और कागज पर उसके मैनुअल फिंगरप्रिंट ले लिए थे। इस कमेटी में शामिल अधिकारियों ने एलर्जी की स्थिति को देखते हुए सचेत निर्णय लिया था। बावजूद इसके, बायोमेट्रिक मिलान न होने के आधार पर परीक्षा परिणाम को रद्द कर दिया गया था।
कोर्ट की टिप्पणी
सभी पक्षों को सुनने के बाद, हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के परिणाम को रद्द करने का कारण बायोमेट्रिक में विफलता था, जबकि प्रतिवादी-बोर्ड ने स्वीकार किया है कि याचिकाकर्ता के हाथों में एलर्जी/फंगल संक्रमण था। कोर्ट ने शिक्षा बोर्ड के इस फैसले को अत्यधिक निंदनीय बताया। कोर्ट ने शिक्षा बोर्ड पर जुर्माना लगाते हुए आदेश दिया कि अब परिणाम जारी करने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए।
याची का करियर और आगे की राह
याची का करियर पिछले पांच सालों से प्रभावित हो रहा है। हरजीत सिंह ने 2019 में परीक्षा दी थी, लेकिन परिणाम रद्द होने के कारण उनका करियर ठहर सा गया था। इस फैसले के बाद याची के लिए एक नई उम्मीद जागी है और उन्हें न्याय मिलने की संभावना बढ़ी है। कोर्ट का यह फैसला अन्य आवेदकों के लिए भी एक संदेश है कि उनकी समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
शिक्षा बोर्ड के लिए सबक
यह मामला शिक्षा बोर्ड के लिए भी एक बड़ा सबक है। भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए बोर्ड को और अधिक संवेदनशील और जागरूक होना पड़ेगा। याची के मामले में जो गलती हुई है, उसे सुधारने के लिए बोर्ड को आगे आना होगा। कोर्ट का यह फैसला शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।