सीएम सैनी के नेतृत्व में हरियाणा कैबिनेट ने लिए बड़े फैसले, जानें क्या है खास
हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में आज मुख्यमंत्री नायब सैनी की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में राज्य के मंत्रिमंडल द्वारा कई अहम फैसले लिए गए, जिनका उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी है। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आचार संहिता लागू होने के बाद इन फैसलों की रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी जाएगी। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के आधार पर ही इन फैसलों को लागू किया जाएगा।
Main Points
हम विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार: सीएम नायब सैनी
कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “हम विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। राज्य में तीसरी बार हमारी सरकार बनने जा रही है।” उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें हमारी आलोचना करने के बजाय अपने कार्यों को जनता के सामने रखना चाहिए। मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि बैठक में अनुसूचित जातियों को आरक्षण देने वाली रिपोर्ट को मंत्रिमंडल के सामने रखा गया, और यह रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी गई है। आचार संहिता लागू होने के कारण, आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही आगे की कार्रवाई होगी।
चुनाव आयोग को भेजी गई अहम रिपोर्टें
बैठक में उच्चतर शिक्षा विभाग के गेस्ट लेक्चरर और इंजीनियरिंग तथा पॉलिटेक्निक कर्मचारियों की सैलरी में लाभ देने की रिपोर्ट भी चुनाव आयोग को भेजी गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी इस योजना में शामिल किया गया है। इसके अलावा, राज्य में सट्टेबाजी को रोकने के लिए एक सख्त कानून बनाने पर भी मंत्रिमंडल में चर्चा हुई और इस पर कार्रवाई की जाएगी।
मानसून सत्र को लेकर नहीं हुई चर्चा
हालांकि, आज की कैबिनेट बैठक में मानसून सत्र बुलाने पर कोई चर्चा नहीं हो पाई। सीएम सैनी ने कहा कि राज्य में चुनाव की घोषणा के बाद भी मानसून सत्र बुलाया जा सकता है। इस संबंध में संविधान के जानकार राम नारायण यादव का कहना है कि 13 सितंबर से पहले राज्य में मानसून सत्र बुलाना संवैधानिक अनिवार्यता है। लेकिन आचार संहिता लागू होने के कारण इस पर चुनाव आयोग से अनुमति लेना आवश्यक होगा।
मीडिया की निगाहें मानसून सत्र पर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चुनाव की घोषणा के बाद भी हरियाणा सरकार मानसून सत्र बुलाने की संभावना पर विचार कर सकती है। ऐसे में सरकार को चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी पड़ेगी। मानसून सत्र में सरकार कई महत्वपूर्ण बिलों को पास करने की कोशिश कर सकती है। यह भी संभव है कि सत्र में विपक्ष सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और राज्य के विभिन्न मुद्दों पर बहस हो।