डेरा प्रमुख राम रहीम को फिर मिली पैरोल, चुनावी माहौल में हरियाणा सरकार ने दी 21 दिन की रिहाई
हरियाणा सरकार ने विधानसभा चुनाव (Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024) की आहट के बीच एक बार फिर से डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) प्रमुख गुरमीत राम रहीम (Ram Rahim) को पैरोल दी है। मंगलवार, 13 अगस्त 2024 को राम रहीम को 21 दिन की पैरोल पर रिहा किया गया है। वह रोहतक की सुनारिया जेल (Sunaria Jail) से बाहर निकला। हरियाणा में इस फैसले को लेकर चर्चाएं और सवाल उठ रहे हैं, खासकर जब राज्य में विधानसभा चुनाव करीब हैं।
दरअसल, राम रहीम को पैरोल मिलने का मुद्दा पहले भी विवादों में रहा है। इस बार भी हरियाणा सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक लाभ लेने के आरोप लगाए जा रहे हैं। हाईकोर्ट में इस विषय पर याचिका भी दाखिल की गई थी। कोर्ट ने हरियाणा सरकार को इस पर निर्णय लेने के अधिकार दिए थे, जिसके बाद राम रहीम को 21 दिन की फरलो दी गई है।
राम रहीम को मंगलवार सुबह जेल से बाहर आते देखा गया। जैसे ही वह सुनारिया जेल से बाहर निकला, उसका काफिला बरनावा आश्रम के लिए रवाना हुआ। इस बार खास बात यह है कि राम रहीम पहली बार रक्षाबंधन के मौके पर जेल से बाहर रहेगा। इससे पहले, राम रहीम ने कई बार पैरोल ली है, लेकिन इस बार के पैरोल का समय राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राम रहीम को पैरोल और फरलो देने का सिलसिला कोई नया नहीं है। पहले भी उसे कई बार पैरोल मिल चुकी है, लेकिन हर बार यह मुद्दा विवादों में घिर जाता है। सरकार पर आरोप लगते हैं कि वह सियासी लाभ के लिए राम रहीम को बार-बार पैरोल देती है। यह आरोप तब और भी गंभीर हो जाते हैं जब हरियाणा में चुनावी माहौल हो।
अगर देखा जाए तो राम रहीम को पैरोल का सिलसिला कुछ इस प्रकार है:
- 24 अक्टूबर 2020: एक दिन की पैरोल।
- 21 मई 2021: एक दिन की पैरोल।
- अक्टूबर 2022: 40 दिन की पैरोल।
- जून 2022: एक महीने की पैरोल।
- 7 फरवरी 2022: 21 दिन की पैरोल।
- 21 जनवरी 2023: 40 दिन की परोल।
- 20 जुलाई 2023: 30 दिन की पैरोल।
- नवंबर 2023: 21 दिन की पैरोल।
- 19 जनवरी 2024: 50 दिन की पैरोल, बाद में इसमें 10 दिन और बढ़ाया गया।
- अब 12 अगस्त को फिर से 21 दिन का फरलो दिया गया है।
राम रहीम 2 अलग-अलग मामलों में सजा काट रहा है। 17 जनवरी 2019 और 18 अक्टूबर 2021 को राम रहीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में उसे 20 साल की सजा दी गई थी। इसके अलावा, पत्रकार मर्डर केस में भी राम रहीम को जेल की सजा मिली थी।
राम रहीम को पैरोल मिलने के बाद से ही राजनीतिक हलकों में हलचल मची हुई है। विरोधियों का कहना है कि यह कदम केवल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए उठाया गया है। वहीं, राम रहीम के समर्थक इस फैसले को न्यायसंगत ठहरा रहे हैं।