हरियाणा में आचार संहिता लागू, क्या हरियाणा में सरकारी कामों पर लगेगा ब्रेक
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान हो चुका है। 16 अगस्त 2024 को इस घोषणा के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई। चुनाव प्रचार के लिए राजनीतिक दलों को इस बार 44 दिन मिलेंगे, जो 17 अगस्त से 29 सितंबर तक जारी रहेंगे। पिछले चुनाव में यह समय लगभग एक महीना था, लेकिन इस बार अगस्त में आचार संहिता लागू होने के कारण प्रचार का समय बढ़ गया है। इस घोषणा के साथ ही राज्य में कई सरकारी कामों पर रोक लग जाएगी। इससे आम जनता के मन में कई सवाल उठने लगे हैं, जिनके जवाब हम यहां दे रहे हैं।
आदर्श आचार संहिता: क्या है और कैसे काम करती है?
आदर्श आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए कुछ नियमों का संग्रह है, जिसका पालन राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव के दौरान करना होता है। यह नियम चुनाव के दौरान निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। यह नियम कानून के तहत नहीं, बल्कि राजनीतिक पार्टियों की आपसी सहमति से बनाए गए हैं। आचार संहिता लागू होते ही सत्ताधारी पार्टी के कामकाज पर विशेष नजर रखी जाती है, ताकि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार चुनावी लाभ के लिए सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग न कर सके।
आचार संहिता के दौरान कौन से काम रुकेंगे?
आदर्श आचार संहिता के लागू होते ही कुछ खास कामों पर रोक लग जाती है। इनमें सरकारी योजनाओं की नई घोषणाएं, नए टेंडर जारी करना, और किसी भी प्रकार की नई परियोजना की शुरुआत शामिल है। इसके अलावा सरकारी विज्ञापन चलाने पर भी रोक लगती है। यदि कोई योजना पहले से चल रही है, तो उसे रोकने की जरूरत नहीं है। लेकिन, चुनाव के दौरान किसी नए काम की घोषणा करना या शिलान्यास करना मना है।
सरकारी भर्तियों का क्या होगा?
हरियाणा में सरकारी भर्तियों की घोषणा पहले ही हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने 50,000 पदों पर भर्ती का वादा किया है, जिनमें से 34,000 पदों पर भर्ती हो चुकी है। बाकी पदों के लिए प्रक्रिया चल रही है, जो आचार संहिता के बावजूद जारी रहेगी। हालांकि, मुख्यमंत्री या किसी मंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र वितरित नहीं किए जा सकेंगे। नई भर्तियों के लिए चुनाव आयोग की मंजूरी जरूरी होगी।
क्या जरूरी कामों पर भी लगेगी रोक?
आचार संहिता लागू होने के बावजूद कुछ जरूरी कामों पर रोक नहीं लगाई जा सकती। इसमें ड्राइविंग लाइसेंस, निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, और जमीनों की रजिस्ट्री जैसे कार्य शामिल हैं। इन सेवाओं का लाभ जनता को मिलता रहेगा। साथ ही, जो विकास कार्य पहले से शुरू हो चुके हैं, वे भी जारी रहेंगे।
आचार संहिता के दौरान सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के तबादले
आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का तबादला बिना चुनाव आयोग की अनुमति के नहीं किया जा सकता। यदि किसी विशेष परिस्थिति में तबादला जरूरी हो, तो चुनाव आयोग की मंजूरी आवश्यक है।
चुनावी रैली और प्रचार: क्या हैं नियम?
आचार संहिता के दौरान किसी भी मंत्री को सरकारी खर्च पर चुनावी रैली या यात्रा करने की अनुमति नहीं होती। मंत्री केवल अपने निवास से ऑफिस जाने के लिए सरकारी वाहन का उपयोग कर सकते हैं। चुनाव प्रचार के लिए उन्हें निजी साधनों का ही उपयोग करना होगा। आधिकारिक दौरे के समय भी मंत्री चुनाव प्रचार नहीं कर सकते हैं।
शराब और अन्य टेंडर की नीलामी पर रोक
आचार संहिता लागू होने के बाद शराब के ठेके और तेंदू पत्तों के टेंडर की नीलामी जैसी गतिविधियों पर रोक लग जाती है। इस दौरान नगर निगम, नगर पंचायत, और राजस्व संग्रहण के काम तो जारी रह सकते हैं, लेकिन नए टेंडर जारी नहीं किए जा सकते।
आचार संहिता लागू होने के साथ ही हरियाणा में चुनावी हलचल तेज हो गई है। अगले कुछ महीनों में राज्य में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। लेकिन इस बीच, जनता के लिए जरूरी सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा, और चुनाव प्रक्रिया निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ संपन्न होगी।