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Happy New Year 2024:नया साल पहले इस महीने से शुरू होता था, जाने पुराने कैलेंडर

Happy New Year 2024: आपकी जानकारी के लिए बता दें, की 2023 खत्म होने में बस कुछ घंटे बचे हैं। भारत में रात 12 बजे नए साल का स्वागत होगा। नए साल का जश्न कुछ देशों में शुरू हो चुका है, जबकि कुछ देश हमसे कुछ घंटे बाद शुरू करेंगे।
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 Happy New Year 2024

Local Haryana, Happy New Year 2024: आपकी जानकारी के लिए बता दें, की 2023 खत्म होने में बस कुछ घंटे बचे हैं। भारत में रात 12 बजे नए साल का स्वागत होगा। नए साल का जश्न कुछ देशों में शुरू हो चुका है, जबकि कुछ देश हमसे कुछ घंटे बाद शुरू करेंगे। 31 दिसंबर की मध्य रात्रि और 1 जनवरी को नए साल की शुरुआत होती है। लेकिन ऐसा कभी नहीं था। आप जानते हैं कि पहले नए साल जनवरी से नहीं होता है। यही नहीं, वर्तमान कैलेंडर में 12 महीने भी नहीं थे। पहले एक कैलेंडर वर्ष में सिर्फ दस महीने थे। आप पहले कैलेंडर में कौन से दो महीने नहीं थे।

कैलेंडर में दो महीने के बाद जोड़ा गया था। इसके अलावा:

प्रत्येक महीने के नाम की एक अलग कहानी है। क्या आपने कभी विचार किया है कि महीनों का नाम कैसे दिया गया? अंग्रेजी महीनों का नामकरण कैसे हुआ?जनवरी महीनों के अंग्रेजी नामों के क्रम में पहला नहीं था। पुराने रोमन लोग हर वर्ष युद्ध करते रहे। लेकिन सर्दियों में पूरे दो महीने आराम करते थे। इसके बाद मार्च में फिर से युद्ध हुआ। यही कारण था कि रोमन युद्ध के देवता मार्स के नाम पर मार्च महीने का नाम रखा गया था। दूसरे शब्दों में, वर्ष की शुरुआत जनवरी के बजाय मार्च में हुई थी।

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मई महीने का नाम रोमन देवी मीया के नाम पर रखा गया हैं:

अप्रैल महीने का नाम कैसे पड़ा इसके पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं. कहा जाता है कि लैटिन भाषा में दूसरे के लिए प्रयोग किए जाने वाले शब्द के आधार पर अप्रैल का नाम रखा गया. ऐसे में अप्रैल साल का दूसरा महीना बन गया. अप्रैल को Aperire शब्द से लिया गया है, जिसका मतलब खिलना है. आपने देखा होगा कि इसी मौसम में कलियां खिलती हैं. मई महीने को अंग्रेजी में कहा जाता है. इस महीने का नाम रोमन देवी मेया के नाम पर रखा गया था. मेया को पौधे और फसल उगाने वाली देवी माना जाता हैं।

सबसे अच्छा महीना ये था शादी के लिए:

जून का महीना रोमन काल में शादी के लिए सबसे अच्‍छा माना जाता था. इसलिए इस महीने का नाम रोमन देवी और शादियों की साक्षी माने जाने वाली देवी जूनो के नाम पर रखा गया था. हम में से ज्‍यादातर ने रोम के राजा जूलियस सीजर की कहानी पढ़ी होगी. 44 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर के नाम पर महीने का नाम जुलाई रखा गया था. जूलियस सीजर के नाम पर महीने का नाम रखने से पहले इस माह को क्विन्टिलिस कहा जाता था. इसका मतलब पांचवा होता हैं। 

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लैटिन शब्दों पर गढ़े गए महीने:

राजा ऑगस्टस सीजर के नाम पर 8 ईसा पूर्व में महीने का नाम अगस्त रखा गया. इससे पहले साल के छठे महीने को सेक्स्टिलिया कहा जाता था, जिसका मतलब छठा होता है. लैटिन भाषा में सेप्‍टम का मतलब सातवां होता है. इसलिए इस महीने का नाम सेप्‍टेम्बर रखा गया. रोमन कैलेंडर में यह साल का सातवां महीना था. वहीं, लैटिन भाषा में ऑक्‍टा का मतलब आठ होता है. इसीलिए रोमन कैलेंडर में साल के आठवें महीने का नाम अक्‍टूबर रखा गया था. इसी तरह नोव के मायने नौवां होते हैं. इसलिए साल का नौवां महीना नवंबर कहलाया. रोमन कैलेंडर का 10वां और आखिरी महीना दिसंबर था. लैटिन भाषा के डेका का मतलब 10 ही होता हैं।

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पहला महीना आखिरी में जोड़ा गया:

ये तो कहानी हुई साल में 10 महीनों के नाम पड़ने की. अब सवाल ये उठता है कि जनवरी और फरवरी को कैलेंडर में कब और कैसे जोड़ा गया? दरअसल, 690 ईसा पूर्व में पोम्पिलियस ने सोचा कि सर्दियों के खत्म होने और मार्च महीने के शुरू होने के बीच में मनाए जाने वाले उत्सव फब्रुआ को साल के महीने के तौर पर पहचान मिलनी चाहिए. इसलिए पोम्पिलियस ने इस उत्सव के आधार पर उस महीने का नाम फरवरी रख दिया, मौजूदा कैलेंडर का पहला महीना रोमन कैलेंडर में सबसे बाद में जोड़ा गया था. दरअसल, इसे साल के खत्म होने और नए साल के शुरू होने के आधार पर जोड़ा गया. इस महीने का नाम जनवरी रखा गया. ये नाम जेनस नाम के भगवान पर आधारित था. जेनस अंत और शुरुआत के देवता माने जाते थे। 

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