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एसबीआई का ग्राहकों को बड़ा झटका, अगर आपका भी बैंक में खाता तो देखें जरूरी जानकारी

15 अगस्त, 2024: देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने ग्राहकों को एक और झटका दिया है। एसबीआई ने अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट्स (एमसीएलआर) में 10 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह नई दरें आज गुरुवार 15 अगस्त, 2024 से प्रभावी हो चुकी हैं। गौरतलब है कि एसबीआई द्वारा एमसीएलआर में बढ़ोतरी का यह लगातार तीसरा महीना है। इससे पहले जून और जुलाई 2024 में भी बैंक ने अपने एमसीएलआर दरों में बदलाव किया था, जिससे ग्राहकों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है।

क्या है एमसीएलआर?

एमसीएलआर (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट) वह न्यूनतम ब्याज दर है, जिसके नीचे बैंक उधार नहीं दे सकता है, जब तक कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अनुमत कुछ मामलों में छूट न दी गई हो। एमसीएलआर दरों में बढ़ोतरी का सीधा असर उन ग्राहकों पर पड़ता है, जिन्होंने होम लोन, कार लोन, या एजुकेशन लोन ले रखा है। नई दरों के प्रभाव से इन सभी लोन की मासिक ईएमआई में वृद्धि होगी, जिससे ग्राहकों की वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ेगा।

नई दरें क्या हैं?

एसबीआई ने विभिन्न अवधियों के लिए एमसीएलआर दरों में 10 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है। तीन साल की अवधि के लिए एमसीएलआर दर अब 9.00% से बढ़कर 9.10% हो गई है, जबकि ओवरनाइट एमसीएलआर 8.10% से बढ़कर 8.20% हो गई है। यहां नीचे दी गई सारणी में अन्य दरों का विवरण है:

ओवरनाइट: 8.10% से बढ़कर 8.20%
एक महीना: 8.35% से बढ़कर 8.45%
तीन महीने: 8.40% से बढ़कर 8.50%
छह महीने: 8.75% से बढ़कर 8.85%
एक साल: 8.85% से बढ़कर 8.95%
दो साल: 8.95% से बढ़कर 9.05%
तीन साल: 9.00% से बढ़कर 9.10%

एमसीएलआर में लगातार तीन महीने की बढ़ोतरी

एसबीआई ने जून 2024 से अब तक विभिन्न अवधियों के लिए एमसीएलआर दरों में 30 बेसिस प्वाइंट्स (बीपीएस) तक की वृद्धि की है। जून 2024 में बैंक ने कुछ अवधि की दरों को बढ़ाया था और जुलाई में फिर से इस दर में वृद्धि की। अब अगस्त में भी यह सिलसिला जारी रहा है, जो ग्राहकों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

होम लोन और अन्य लोन पर क्या होगा असर?

एमसीएलआर दरों में बढ़ोतरी का मतलब है कि होम लोन, कार लोन, और एजुकेशन लोन जैसे कर्ज की लागत बढ़ेगी। इससे उन ग्राहकों की मासिक ईएमआई बढ़ जाएगी जिन्होंने पहले ही लोन ले रखा है। यह वृद्धि विशेष रूप से उन लोगों के लिए चिंताजनक है जो पहले से ही बढ़ती महंगाई और अन्य वित्तीय दबावों का सामना कर रहे हैं।

एमसीएलआर की शुरुआत क्यों हुई थी?

मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) प्रणाली की शुरुआत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अप्रैल 2016 में की थी। इससे पहले बैंक आधार दर प्रणाली के तहत लोन दे रहे थे। एमसीएलआर को अधिक पारदर्शिता और ग्राहकों के लिए बेहतर दरों के उद्देश्य से लागू किया गया था। हालांकि, बैंकों द्वारा लगातार एमसीएलआर दरों में वृद्धि करने से ग्राहकों को मुश्किलें बढ़ रही हैं।

क्या है इसका समाधान?

बढ़ती एमसीएलआर दरों से बचने का एक उपाय है कि ग्राहक अपने लोन को फिक्स्ड रेट लोन में कन्वर्ट करवा लें। फिक्स्ड रेट लोन में एमसीएलआर दरों में होने वाली वृद्धि का कोई असर नहीं होता। हालांकि, फिक्स्ड रेट लोन की शुरुआती ब्याज दर फ्लोटिंग रेट से अधिक हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह फायदा दे सकता है।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार, एक अनुभवी हिंदी समाचार लेखक हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में करीब 5 साल का एक्सपीरिएंस है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक डिजीटल समाचार वेबसाइट chopal TV से की थी, जहां उन्होंने ऑटो, टेक और बिजनेस समेत कई सेक्शन में काम किया। इन्हें टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और बिजनेस से जुड़ी न्यूज लिखना, पढ़ना काफी पसंद है। इन्होंने इन सभी सेक्शन को बड़े पैमाने पर कवर किया है और पाठकों लिए बेहद शानदर रिपोर्ट पेश की हैं। संदीप कुमार, पिछले 1.5 महीने से लोकल हरियाणा पर पाठकों तक सही व स्टीक जानकारी पहुंचाने का प्रयास कर रहे है।

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