पुत्रदा एकादशी: 15 या 16 अगस्त? जानें सही तारीख और महत्व
इस साल सावन शुक्ल एकादशी, जिसे पुत्रदा एकादशी कहा जाता है, को लेकर कई मत हैं। कुछ पंचांगों के अनुसार यह व्रत 15 अगस्त को है, जबकि अन्य के अनुसार 16 अगस्त को। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है क्योंकि एकादशी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त की सुबह सूर्योदय के बाद होगी और अगले दिन 16 अगस्त को सूर्योदय के बाद तक रहेगी। इस लेख में हम इस व्रत की सही तारीख, महत्व और पूजा विधि पर चर्चा करेंगे।
पुत्रदा एकादशी की तिथि
पंचांग के अनुसार, सावन शुक्ल एकादशी की तिथि 15 अगस्त 2024 को सुबह 10:26 बजे से शुरू होगी और 16 अगस्त 2024 को सुबह 9:39 बजे तक रहेगी. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, एकादशी व्रत के लिए उदयातिथि अधिक शुभ मानी जाती है। उदयातिथि का अर्थ है कि जिस तिथि में सूर्योदय होता है, वही तिथि पूरे दिन मानी जाती है। इस कारण, 16 अगस्त को सूर्योदय के समय एकादशी तिथि रहेगी, जिससे यह व्रत उसी दिन करना अधिक उचित होगा.
व्रत का महत्व
पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन महिलाओं द्वारा रखा जाता है जो संतान सुख से वंचित हैं या जो अपने बच्चों की खुशहाली और स्वास्थ्य की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं दिनभर निराहार रहकर भगवान विष्णु की पूजा करती हैं, मंत्र जप करती हैं और धार्मिक कथाएं सुनती हैं. सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है, और इस समय भगवान विष्णु की पूजा का भी महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी का दूध से अभिषेक करने का विशेष महत्व है।
पूजा विधि
पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती है:
- अभिषेक: भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। इसके लिए दूध में केसर मिलाएं और इस दूध को शंख में भरकर भगवान को स्नान कराएं।
- मंत्र जप: ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। भगवान विष्णु को पीले चमकीले वस्त्र चढ़ाएं और देवी लक्ष्मी को लाल चुनरी ओढ़ाएं।
- तिलक और अर्पण: कुमकुम का तिलक लगाएं। लाल चूड़ी, सिंदूर, और लाल फूल अर्पित करें। देवी-देवता का फूलों से श्रृंगार करें।
- भोग: दूध से बनी मिठाई का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
- गौ माता की पूजा: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ गौ माता की भी पूजा करनी चाहिए। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।