दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 15 सितंबर 2024 को एक चौंकाने वाला ऐलान किया है कि वह अगले दो दिनों में अपने पद से इस्तीफा देंगे। उन्होंने कहा कि वह तब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे जब तक लोग उन्हें ईमानदारी का प्रमाण पत्र नहीं देते। यह निर्णय उनके हालिया जेल से रिहाई के बाद आया है, जब उन्हें दिल्ली के एक्साइज पॉलिसी भ्रष्टाचार मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।
Main Points
इस्तीफे का कारण
केजरीवाल का इस्तीफा एक रणनीतिक कदम प्रतीत होता है। उन्हें पिछले छह महीनों में जेल में रहना पड़ा, जिसके दौरान उनकी ईमानदारी पर सवाल उठाए गए। बीजेपी ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की थी, लेकिन केजरीवाल ने इस्तीफे की मांग का जवाब देने का फैसला किया है। वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई के अनुसार, केजरीवाल की राजनीति में हमेशा ‘शॉक वैल्यू’ रही है। वह अपने फैसलों से लोगों को चौंकाते रहे हैं, और अब इस्तीफे का ऐलान भी उसी कड़ी में आता है।
चुनावी रणनीति
केजरीवाल के इस्तीफे का एक बड़ा पहलू यह है कि वह दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराने की योजना बना रहे हैं। अगर वह अपनी सरकार को भंग करते हैं, तो उपराज्यपाल के पास चुनाव कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। किदवई का कहना है कि इस समय बीजेपी दिल्ली में मजबूत स्थिति में नहीं है, और केजरीवाल इस स्थिति का लाभ उठाना चाहते हैं।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी ने केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की है और उन्हें ‘कट्टर बेईमान’ करार दिया है। पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते समय यह स्पष्ट किया है कि वह अभी भी आरोपी हैं। ऐसे में उनका इस्तीफा एक राजनीतिक चाल हो सकती है, जिससे वह अपनी छवि को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस की स्थिति
कांग्रेस इस राजनीतिक घटनाक्रम में कहीं नजर नहीं आ रही है। लोकसभा चुनावों में उनकी स्थिति कमजोर रही है। किदवई का कहना है कि आम आदमी पार्टी के पास कांग्रेस के रूप में एक बैकअप है, लेकिन वर्तमान में कांग्रेस की भूमिका सीमित है।
संभावित उत्तराधिकारी
केजरीवाल ने यह भी संकेत दिया है कि वे जल्द ही AAP के विधायकों की बैठक बुलाएंगे, जिसमें नए मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा होगी। इस संदर्भ में, अतीशी, जो शिक्षा मंत्री हैं और पार्टी की प्रमुख नेताओं में से एक हैं, उनके संभावित उत्तराधिकारी हो सकते हैं।