नासा के रोवर ने मंगल पर किया चौंकाने वाला खुलासा: मिले पीले क्रिस्टल
नासा के क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity Rover) ने अनजाने में ही मंगल ग्रह की एक चट्टान को तोड़ दिया और उसमें छिपे एक रहस्य को उजागर कर दिया। चट्टान के भीतर दिखी पीली चीज ने धरती पर वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया। यह पीली चीज सल्फर के क्रिस्टल हैं। मंगल पर पहली बार सल्फर के क्रिस्टल मिले हैं। आमतौर पर मंगल ग्रह पर सल्फेट मिलना सामान्य है, लेकिन शुद्ध सल्फर का मिलना अपने आप में एक बहुत बड़ी खोज है।
क्यूरियोसिटी रोवर एक चलती-फिरती प्रयोगशाला है, जिसका वजन 899 किलोग्राम है। यह रोवर मंगल पर घूमते हुए वैज्ञानिक अनुसंधान करता है। मई 2024 में, जब यह रोवर कुछ चट्टानों के बीच से गुजर रहा था, एक चट्टान अचानक से दो टुकड़ों में टूट गई। यह घटना गेडिज़ वालिस चैनल नामक स्थान पर हुई, जहां कई चट्टानें हैं।
क्यूरियोसिटी की इस खोज से यह पता चलता है कि मंगल पर कहीं-कहीं सल्फर अपने शुद्ध रूप में भारी मात्रा में मौजूद हो सकता है। नासा की जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी में क्यूरियोसिटी प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक अश्विन वासवदा ने कहा, “शुद्ध सल्फर से बने पत्थरों का मिलना रेगिस्तान में मरूद्यान (ओएसिस) खोजने जैसा है। इसे यहां नहीं होना चाहिए, इसलिए अब हमें इसे समझना पड़ेगा।”
मंगल के इतिहास को समझने में मिलेगी मदद
सल्फेट वे लवण होते हैं जो तब बनते हैं जब सल्फर, आमतौर पर यौगिक रूप में, पानी में अन्य खनिजों से मिल जाता है। जब पानी उड़ जाता है तो खनिज मिक्स होकर सूख जाते हैं और सल्फेट बचा रह जाता है। ये सल्फेट खनिज हमें मंगल के बारे में काफी कुछ बता सकते हैं, जैसे कि मंगल का जल इतिहास और समय के साथ पानी गायब कैसे हुआ।
शुद्ध सल्फर केवल बहुत ही सीमित परिस्थितियों में बनता है, और मंगल के उस क्षेत्र में ऐसी परिस्थितियां नहीं पाई जातीं, जहां क्यूरियोसिटी ने यह खोज की थी। मंगल के भूवैज्ञानिक इतिहास के बारे में हमें ज्यादा कुछ नहीं पता, लेकिन मंगल की सतह पर शुद्ध सल्फर की खोज बताती है कि वहां कुछ बहुत बड़ा और रहस्यमय है जिसके बारे में हमें अब तक पता नहीं था।
ये खोज वैज्ञानिकों के लिए एक नया अध्याय खोल सकती है और मंगल पर जीवन की संभावनाओं को भी बढ़ावा दे सकती है। हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में क्यूरियोसिटी और ऐसी ही अन्य मिशन मंगल के और भी रहस्यों से पर्दा उठाएंगे।